उत्तर प्रदेश : 5 जून 2025—यह तिथि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए केवल एक जन्मदिन नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक पर्व का रूप लेने जा रही है। विश्व पर्यावरण दिवस पर जन्म लेने वाले योगी का यह जन्मदिन इस बार रामनगरी अयोध्या में और भी पावन बन जाएगा, जब वे भव्य राम मंदिर के राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगे।
गंगा दशहरा और द्वापर युग का प्रारंभ: तिथि का दिव्य महत्व
5 जून को ज्येष्ठ शुक्ल दशमी है, जिसे गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन पतितपावनी गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। यही नहीं, इस दिन को द्वापर युग की शुरुआत और रामेश्वरम की स्थापना से भी जोड़ा जाता है, जब त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने लंका विजय से पूर्व इस पवित्र स्थल की स्थापना की थी। यह तिथि भारतीय सांस्कृतिक विरासत की गहराई और आध्यात्मिकता को दर्शाती है।
राम मंदिर आंदोलन और गोरक्षपीठ: एक लंबा संघर्ष
योगी आदित्यनाथ केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर हैं, जिनकी परंपरा तीन पीढ़ियों से राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी रही है। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ ने इस आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया, और योगी ने बतौर उत्तराधिकारी इसे पूर्णता तक पहुँचाया। सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय के बाद, अयोध्या के पुनर्निर्माण में उनकी भूमिका निर्णायक रही है।
शुभ मुहूर्तों का महत्व और राम दरबार की प्रतिष्ठा
राम मंदिर के हर प्रमुख आयोजन में शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा गया—अक्षय तृतीया पर मूर्तियों का आगमन, पौष शुक्ल द्वादशी पर रामलला की प्रतिष्ठा, और अब ज्येष्ठ शुक्ल दशमी पर राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा। यह ज्योतिषीय परंपरा और सनातन संस्कृति की दिव्यता को दर्शाता है।
योगी का अयोध्या प्रेम: 100 से अधिक दौरे
योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल में 100 से अधिक बार अयोध्या का दौरा किया। हर योजना—चाहे वह भूमि पूजन हो, शिलान्यास हो या प्रतिष्ठा समारोह—में उनकी सक्रिय भागीदारी रही है। अयोध्या को वैश्विक धार्मिक पर्यटन केंद्र बनाने का उनका संकल्प अब साकार होता दिखाई दे रहा है।
एक दिन, अनेक आयाम: ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव
5 जून 2025 न केवल योगी आदित्यनाथ के जीवन का एक नया अध्याय रचेगा, बल्कि यह दिन भारत की सांस्कृतिक चेतना और आध्यात्मिक पुनर्जागरण का प्रतीक बन जाएगा। राम दरबार की प्रतिष्ठा, गंगा दशहरा का पावन पर्व, और द्वापर युग की स्मृति—ये सभी एक साथ मिलकर इस दिन को इतिहास में अमिट बना देंगे।