नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साइप्रस की ऐतिहासिक यात्रा के बाद कनाडा के लिए रवाना हो गए हैं, जहां वे 15 से 17 जून तक अल्बर्टा के कनानास्किस में आयोजित 51वें जी7 शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। सम्मेलन में वैश्विक आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी भारत की सक्रिय भूमिका को और मजबूत करने के प्रयासों में जुटेंगे।
साइप्रस दौरे की मुख्य बातें:
- पीएम मोदी ने राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिड्स से मुलाकात की, जिसमें भारत-साइप्रस द्विपक्षीय संबंधों, भारत-मध्य पूर्व–यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC), और भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी पर विस्तृत चर्चा हुई।
- दोनों नेताओं ने निकोसिया टाउन हॉल का दौरा किया और युद्धविराम रेखा का निरीक्षण भी किया।
- साइप्रस के राष्ट्रपति भवन में पीएम मोदी के सम्मान में एक आधिकारिक भोज का आयोजन हुआ।
- यह दौरा 23 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली साइप्रस यात्रा रही, जिसे द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई देने वाला कदम माना जा रहा है।
रणनीतिक महत्व:
साइप्रस, यूरोपीय संघ का एक प्रभावशाली सदस्य है और भारत के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से अहम सहयोगी माना जाता है। प्रधानमंत्री की यह यात्रा भारत के भूराजनीतिक और आर्थिक हितों को मजबूती देने की दिशा में एक अहम पहल है।
विदेश यात्राओं का सिलसिला:
प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी अब तक 88 विदेशी यात्राएं कर चुके हैं, जिसमें उन्होंने 73 देशों का दौरा किया है। यह उनकी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की उपस्थिति और भूमिका को सशक्त करने की रणनीति का हिस्सा है।
जी7 में भारत की भागीदारी:
कनाडा में आयोजित हो रहे जी7 शिखर सम्मेलन में मोदी दुनिया के प्रमुख नेताओं के साथ वैश्विक मुद्दों पर भारत की दृष्टिकोण साझा करेंगे। सम्मेलन जलवायु परिवर्तन, वैश्विक अर्थव्यवस्था, उभरते तकनीकी खतरों, और शांति एवं सुरक्षा जैसे विषयों पर केंद्रित रहेगा। यह यात्रा न केवल भारत की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को गति दे रही है, बल्कि भारत की साख और वैश्विक नेतृत्व क्षमता को भी रेखांकित कर रही है।