केंद्र सरकार दिल्ली विकास अधिनियम, 1957 में संशोधन करने जा रही है. इसका मुख्य उद्देश्य लैंड पूलिंग पॉलिसी को प्रभावी रूप से लागू करना और दिल्ली के 104 शहरी गांवों में विकास कार्य को तेज़ करना है.
क्या है यह बदलाव?
बिंदु | विवरण |
कानूनी बदलाव | दिल्ली विकास अधिनियम, 1957 में संशोधन |
लक्ष्य | लैंड पूलिंग पॉलिसी को लागू करना और निजी डेवलपर्स को प्रोत्साहित करना |
लागू क्षेत्र | दिल्ली के 104 शहरी गांवों के 129 सेक्टर |
नई व्यवस्था | लैंड पूलिंग को अनिवार्य किया जाएगा, FAR 200 से बढ़ाकर 400 किया जाएगा |
लैंड पूलिंग पॉलिसी क्या है?
जमीन मालिकों से ज़मीन लेकर उसे एकत्रित किया जाता है और बड़े पैमाने पर विकास (आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक) किया जाता है। विकास के बाद, जमीन का एक हिस्सा मालिक को वापस मिलता है — अब बेहतर सुविधाओं के साथ।
मुख्य विशेषताएं
- लैंड पूलिंग अनिवार्य: यदि 70% जमीन मालिक सहमत हों, तो बाकी को भी शामिल किया जाएगा।
- FAR में बदलाव: फ्लोर एरिया रेशियो को 200 से बढ़ाकर 400 किया जाएगा।
- निजी डेवलपर्स की भागीदारी: वर्टिकल डेवलपमेंट (ऊँची इमारतों) के लिए प्राइवेट कंपनियों को शामिल किया जाएगा।
- तेज़ शहरीकरण: नरेला, बवाना, नजफगढ़ जैसे कम विकसित क्षेत्रों में भी तेज़ विकास।
- सस्ती हाउसिंग को बढ़ावा: आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए अधिक आवास निर्माण।
अब तक की स्थिति
- नीति 2013 और 2018 में नोटिफाई हो चुकी है, लेकिन ज़मीन मालिकों की सहमति की कमी के कारण कोई बड़ा विकास कार्य शुरू नहीं हो पाया।
- अब संशोधन के बाद सरकार इसे अनिवार्य रूप से लागू करने की दिशा में काम कर रही है।
आपके लिए क्या मायने रखता है?
- यदि आप दिल्ली में ज़मीन के मालिक हैं — तो यह नीति आपके ज़मीन के भविष्य से जुड़ी है।
- यदि आप घर खरीदने की योजना बना रहे हैं — तो आने वाले वर्षों में अधिक विकल्प और बेहतर सुविधाएं मिल सकती हैं।
सरकार का कहना है
“ये बदलाव दिल्ली मास्टर प्लान 2041 का हिस्सा हैं और इसका उद्देश्य शहर के समग्र विकास को गति देना है।”
लैंड पूलिंग पॉलिसी क्या है?
- यह नीति जमीन मालिकों से जमीन इकट्ठा करके, एक नियोजित तरीके से विकास करती है।
- जमीन मालिकों को उनकी जमीन का हिस्सा विकसित स्थिति में वापस मिलता है।
- DDA द्वारा बुनियादी ढांचा

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