MUMBAI : महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों एक नई हलचल दिख रही है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच संभावित गठबंधन की खबरों ने सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज कर दिया है। हाल ही में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की एक साथ आई तस्वीर ने न केवल चर्चाओं को बल दिया, बल्कि जनता के बीच भी उत्सुकता का माहौल बना दिया है। न इनकार है, न ही इजहार लेकिन जो संकेत मिल रहे हैं, वे आने वाले समय में एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की ओर इशारा कर रहे हैं।
शिवसेना और मनसे के बीच सैद्धांतिक सहमति बनने की संभावनाएं बन रही हैं। उल्लेखनीय है कि कुछ सप्ताह पहले एक इंटरव्यू में राज ठाकरे ने भाई उद्धव ठाकरे के साथ आने के संकेत दिए थे। इसके बाद उद्धव गुट की ओर से भी सकारात्मक प्रतिक्रियाएं सामने आईं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ठाकरे बंधुओं की यह नजदीकी महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दे सकती है।
बीते वर्षों में ठाकरे परिवार की राजनीति में दरारें साफ तौर पर देखी गईं। राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर मनसे की स्थापना की थी, जबकि उद्धव ठाकरे ने पार्टी की कमान संभालते हुए शिवसेना को एक नई दिशा देने की कोशिश की। लेकिन समय के साथ दोनों नेताओं की राजनीतिक पकड़ कमजोर पड़ी। उद्धव ठाकरे को एकनाथ शिंदे के बगावती कदम से बड़ा झटका लगा, वहीं राज ठाकरे की मनसे भी राज्य की मुख्यधारा की राजनीति से लगभग बाहर हो चुकी है।
ऐसे में यह संभावित एकता दोनों नेताओं के लिए एक राजनीतिक आवश्यकता बनती जा रही है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर दोनों भाई फिर से एकजुट होते हैं, तो महाराष्ट्र में बीजेपी और शिंदे गुट के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो सकती है। साथ ही ठाकरे परिवार की खोई हुई साख को भी यह गठबंधन फिर से मजबूती प्रदान कर सकता है। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह नजदीकी महज एक भावनात्मक क्षण तक सीमित रहती है या फिर आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में ठाकरे बंधु वाकई एक मंच पर नजर आएंगे।