DESK : झारखंड में शराब घोटाले की परतें खुलनी शुरू हो गई हैं। ताजा खुलासे में सामने आया है कि अगस्त 2024 से दिसंबर 2024 के बीच राज्यभर में शराब दुकानों पर प्रिंट रेट से अधिक कीमत वसूलने के 358 मामले दर्ज हुए, लेकिन एक भी मामले में FIR दर्ज नहीं की गई। उत्पाद विभाग ने महज जुर्माना वसूल कर कार्रवाई की खानापूर्ति कर दी।
ग्राहकों से अवैध वसूली, जिम्मेदारों की चुप्पी
इस दौरान आम लोगों ने समय-समय पर शराब दुकानों की मनमानी के खिलाफ शिकायतें कीं। लेकिन कार्रवाई की जगह विभाग ने केवल मैन पावर सप्लाई करने वाली एजेंसी पर जुर्माना ठोककर मामले को रफा-दफा कर दिया। नतीजा ये रहा कि राज्य भर में शराब की क़ीमतें मनमाने ढंग से वसूली जाती रहीं और आम उपभोक्ताओं की जेब पर भार बढ़ता गया।
राजधानी रांची सबसे आगे, पर कार्रवाई नहीं
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज़्यादा शिकायतें राजधानी रांची से दर्ज हुईं कुल 224 मामले। इसके अलावा बोकारो से 29, पलामू से 25, धनबाद से 16, दुमका से 10, खूंटी, जमशेदपुर और देवघर से 6-6, जबकि रामगढ़ और चतरा से 4-4 मामले सामने आए। इन सभी मामलों में विभाग ने कुल मिलाकर सिर्फ 32 लाख रुपये का जुर्माना वसूला, जबकि किसी भी विक्रेता या एजेंसी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।
कानून की अनदेखी पर उठे सवाल
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला सीधे तौर पर उपभोक्ता अधिकारों और सरकारी नियमन की अनदेखी का है। सवाल यह उठता है कि जब इतनी बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज हुईं, तो फिर कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की गई? झारखंड में शराब वितरण की जिम्मेदारी एक ही एजेंसी को दी गई है, जो मैन पावर की सप्लाई भी करती है। इन मामलों में उसी एजेंसी पर जुर्माना लगाया गया, लेकिन यह जुर्माना कानूनी कार्रवाई की जगह नहीं ले सकता