PATNA : बिहार की सियासत में एक बार फिर लालू यादव की खांटी पॉलिटिक्स का दमखम देखने को मिला है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रदेश अध्यक्ष पद की रेस में वरिष्ठ नेता आलोक मेहता को पछाड़ते हुए मंगनी लाल मंडल ने बाजी मार ली है। 17 जनवरी 2025 को JDU छोड़कर RJD में दोबारा शामिल हुए मंगनी लाल मंडल का नामांकन आज (14 जून) किया जा रहा है, जबकि 19 जून को पटना के ज्ञान भवन में होने वाली राज्य परिषद की बैठक में उनके अध्यक्ष बनने की औपचारिक घोषणा की जाएगी।
लालू-तेजस्वी की मुहर, संगठन में नए समीकरण
इस पूरे घटनाक्रम को लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव की संयुक्त रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 में महागठबंधन की हार के बाद दोनों नेताओं ने संगठन को नए सामाजिक समीकरणों के आधार पर खड़ा करने का फैसला लिया है। आलोक मेहता, जो कि कुशवाहा समुदाय से आते हैं और जिनका संगठन पर अच्छा खासा पकड़ भी है, को पीछे हटाकर मंगनी लाल मंडल को मौका दिया जाना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
वैशाली बैंक घोटाले की छाया
सूत्रों की मानें तो आलोक मेहता का प्रदेश अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा था। वह समस्तीपुर के उजियारपुर से विधायक हैं और शिक्षा व राजस्व मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। लेकिन हाल ही में वैशाली कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में ED की छापेमारी ने उनके नाम को विवादों में ला दिया। हालांकि RJD ने इसे राजनीतिक साजिश बताया, पर पार्टी आलाकमान ने फिलहाल उनकी छवि को लेकर कोई जोखिम नहीं लिया।
EBC वोट बैंक पर सीधी नजर
मंगनी लाल मंडल धानुक समुदाय से आते हैं, जो कि EBC यानी अत्यंत पिछड़ा वर्ग का हिस्सा है। बिहार में इनकी संख्या करीब 2.14% है, लेकिन EBC की कुल ताकत 30-35% मानी जाती है। यही वर्ग NDA के परंपरागत वोट बैंक में शामिल रहा है। मंगनी लाल की नियुक्ति को इस वर्ग में सेंधमारी की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
मिथिलांचल में खोई जमीन पाने की कवायद
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मंगनी लाल मंडल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर RJD एक तीर से दो निशाने साधना चाह रही है। एक ओर EBC वर्ग को साधा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर मिथिलांचल की वह जमीन वापस पाने की कोशिश की जा रही है, जहां पिछले विधानसभा चुनाव में RJD को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। झंझारपुर से पूर्व सांसद और विधान परिषद व राज्यसभा सदस्य रह चुके मंगनी लाल का इस क्षेत्र में अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है।
तेजस्वी यादव की नई और पुरानी राजनीति का मेल
राजनीति के जानकार यह भी मानते हैं कि यह फैसला सिर्फ लालू यादव का नहीं बल्कि तेजस्वी यादव की सोच का भी प्रतिबिंब है। तेजस्वी जहां युवा वोटरों और नई राजनीतिक रणनीतियों पर ध्यान दे रहे हैं, वहीं लालू की परंपरागत जातिगत समीकरणों को भी सहेज रहे हैं। 76 वर्षीय मंगनी लाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एक ओर EBC वोटर साधे जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पुराने नेताओं का अनुभव भी पार्टी को मिल रहा है।