नई दिल्ली: 7 जून को वॉशिंगटन पोस्ट ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें भारतीय टीवी मीडिया की विश्वसनीयता, निष्पक्षता और पेशेवर जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि 9 मई की रात भारत के प्रमुख न्यूज चैनलों ने पाकिस्तान में तख्तापलट और युद्ध जैसे फर्जी दावे किए, जो पूरी तरह झूठे साबित हुए।
कैसे फैलाई गई झूठी खबर
रिपोर्ट के मुताबिक, एक पत्रकार को आधी रात को प्रसार भारती से व्हाट्सएप संदेश मिला, जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान में सेना प्रमुख गिरफ्तार हो गए हैं और तख्तापलट चल रहा है। कुछ ही मिनटों में यह सूचना X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की गई और बड़े-बड़े न्यूज चैनलों ने बिना पुष्टि के इसे ब्रेकिंग न्यूज बना दिया।
चैनलों के झूठे दावे
- टाइम्स नाउ नवभारत: भारतीय सेना पाकिस्तान में घुसी।
- टीवी9 भारतवर्ष: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने आत्मसमर्पण किया।
- भारत समाचार: पाक पीएम बंकर में छिपे हैं।
- अन्य चैनल जैसे ज़ी न्यूज़, एबीपी न्यूज़, एनडीटीवी ने भी ऐसे ही झूठे दावे किए।
गलत वीडियो का इस्तेमाल
इन दावों के समर्थन में चैनलों ने ग़ाज़ा और सूडान के युद्ध, अमेरिका की विमान दुर्घटना और वीडियो गेम के दृश्य भी दिखाए।
वरिष्ठ अधिकारियों की चिंता
पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव ने टीवी मीडिया के इस रवैये को “अतिराष्ट्रवाद” और “एक समांतर वास्तविकता” करार दिया।
न्यूज़लॉन्ड्री की संपादक मनीषा पांडे ने कहा कि यह टीवी मीडिया का सबसे खतरनाक रूप है और अब न्यूज़रूम व्हाट्सएप अफवाहों पर चल रहे हैं।
पत्रकारों की गवाही
वॉशिंगटन पोस्ट ने 24 से अधिक पत्रकारों और पूर्व व वर्तमान अधिकारियों से बात की, जिनमें से कई ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि झूठी खबरें किस तरह फैलाई गईं और किस तरह पेशेवर दबाव में आकर चैनलों ने गैर-जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग की।
पृष्ठभूमि
भारत में टीवी मीडिया का एक बड़ा वर्ग सत्ता के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए जाना जा रहा है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पत्रकारों को राजद्रोह, आतंकवाद और मानहानि जैसे कानूनों के जरिए चुप कराने की कोशिशें की गईं।
अब तक चुप्पी
ज़ी न्यूज़, एनडीटीवी, एबीपी न्यूज़, टीवी9 भारतवर्ष, टाइम्स नाउ और प्रसार भारती ने वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट पर किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी है।