बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी: जदयू की रणनीति: 100 से 110 सीटों की दावेदारी

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पटना: बिहार की आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीति में नंबरों का खेल अब तेज हो गया है। खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) आगामी चुनाव में अपनी हिस्सेदारी यानी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, इस पर निर्णायक बैठक होने वाली है।

मुख्य बिंदु:

  • सीटों की संख्या: जदयू की कोर कमेटी बैठक में लगभग 100 से 110 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव तय किया जाएगा। ये सीटें उन्हीं क्षेत्रों की होंगी जहां जदयू के वर्तमान विधायक हैं या जहां पार्टी को पिछली बार जीत मिली थी।
  • महत्वपूर्ण बैठक: यह निर्णय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में लिया जाएगा, जिसमें केंद्रीय मंत्री ललन सिंह, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा, जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी, ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी, और प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा भी शामिल होंगे।
  • एनडीए के साथ समन्वय: इसके बाद एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की राज्य स्तरीय बैठक होगी, जहां जदयू की दावेदारी पर अंतिम फैसला होगा।
  • उम्मीदवारों का चयन: उम्मीदवारों की सूची जिला स्तरीय एनडीए सम्मेलनों में उनकी सक्रियता और सामाजिक समीकरण के आधार पर तैयार की गई है। इस बार जदयू सीधे उम्मीदवारों से आवेदन नहीं लेगा, बल्कि सक्रियता के आधार पर सूची तैयार करेगा।

इस तरह, जदयू अपनी ताकत को बरकरार रखते हुए सीटों की संख्या को लेकर रणनीति बना रहा है ताकि बिहार में आगामी चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया जा सके।

सीट चयन का आधार

जिन सीटों पर जदयू दावेदारी कर रही है, उनका चयन निम्नलिखित आधार पर किया गया है:

  1. पिछली जीत का रिकॉर्ड: जिन सीटों पर पार्टी पहले जीत चुकी है।
  2. वर्तमान विधायकों की स्थिति: पार्टी जिन सीटों पर वर्तमान में विधायक हैं।
  3. जिला सम्मेलन में सक्रियता: हाल ही में जिला स्तर पर हुए एनडीए सम्मेलनों में नेताओं और कार्यकर्ताओं की सक्रियता को ध्यान में रखकर संभावित उम्मीदवारों की पहचान की गई है।
  4. स्थानीय सामाजिक समीकरण: जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण को भी गंभीरता से लिया गया है।

नीतीश कुमार के लिए यह चुनाव कई मायनों में ‘make or break’ हो सकता है:

  • पिछले वर्षों में लगातार दल-बदल ने उनकी छवि को कमजोर किया है।
  • यदि जदयू को पर्याप्त सीटें नहीं मिलती हैं, तो नीतीश कुमार की मुख्यमंत्री पद पर पकड़ ढीली हो सकती है।
  • बीजेपी के भीतर भी नीतीश कुमार के विकल्प पर सोच-विचार शुरू हो चुका है।

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