नई दिल्ली: भारत सरकार ने ईरान में बढ़ते तनाव के मद्देनजर तेहरान में रह रहे भारतीय छात्रों और नागरिकों से शहर छोड़ने की सख्त सलाह दी है। विदेश मंत्रालय (MEA) की यह चेतावनी इजरायल द्वारा हाल ही में ईरान पर किए गए हमलों के बाद जारी की गई है, जिससे पूरे क्षेत्र में हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं।
कांग्रेस की मांग – फौरन निकासी तंत्र बनाएं
15 जून को कांग्रेस पार्टी ने दावा किया कि तेहरान और आसपास के क्षेत्रों में 1500 से ज्यादा भारतीय छात्र फंसे हुए हैं और वे असुरक्षा एवं अनिश्चितता में जीवन बिता रहे हैं। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सरकार पर “धीमी प्रतिक्रिया” का आरोप लगाते हुए कहा कि यह स्थिति यूक्रेन और सूडान जैसे पूर्ववर्ती संकटों की याद दिलाती है। कांग्रेस ने केंद्र से “सिर्फ सलाह जारी करने के बजाय” एक तत्काल समन्वित निकासी योजना बनाने की मांग की है।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी सक्रिय
उमर अब्दुल्ला ने विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से बात की है और जानकारी दी गई है कि कुछ छात्रों को तेहरान से 148 किलोमीटर दूर क्यूम शहर में बसों के ज़रिये स्थानांतरित किया जा रहा है, जो फिलहाल अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जा रहा है।
बाधाएं – इंटरनेट बंद और एयरस्पेस सील
रिपोर्टों के अनुसार, ईरान में इंटरनेट सेवाओं में रुकावट और तेहरान एयरस्पेस के अस्थायी रूप से बंद होने से भारतीयों की निकासी चुनौतीपूर्ण हो गई है। भारत सरकार ने स्थिति पर नज़र रखने के लिए आपातकालीन हेल्पलाइन और टेलीग्राम अपडेट चैनल भी जारी किया है।
व्यापार और रणनीतिक परियोजनाओं पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान-इजरायल तनाव यदि और बढ़ा तो भारत की रणनीतिक परियोजनाएं जैसे चाबहार पोर्ट और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकॉनोमिक कॉरिडोर पर असर पड़ सकता है। भारत के लिए यह संतुलन साधना कठिन होता जा रहा है क्योंकि वह इजरायल और ईरान – दोनों के साथ मधुर संबंध बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
विमानों पर भी असर, उड़ानों में देरी
ईरानी एयरस्पेस बंद होने से एयर इंडिया और इंडिगो की यूरोप जाने वाली उड़ानों को रूट बदलना पड़ रहा है, जिससे वक्त और ईंधन की लागत बढ़ गई है।
सरकार फिलहाल वैकल्पिक निकासी योजनाओं पर विचार कर रही है और स्थिति पर करीबी नजर रखे हुए है। विदेश मंत्रालय और तेहरान स्थित भारतीय दूतावास भारतीय नागरिकों के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं।