जय-जय जगन्नाथ… रांची में शुरू हुआ 333 साल पुराना रथ मेला, मौसीबाड़ी की ओर रवाना हुए भगवान

Share

यातायात व्यवस्था में बदलाव: 27 जून से 7 जुलाई तक लागू रहेगा विशेष ट्रैफिक प्लान

रांची: राजधानी रांची में 333 वर्षों से चली आ रही ऐतिहासिक रथयात्रा का आगाज़ हो गया है। भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा भव्य रथ पर सवार होकर मौसीबाड़ी (गुंडिचा मंदिर) की यात्रा पर निकले। इस अवसर पर रांची के जगन्नाथपुर मंदिर परिसर और आस-पास के क्षेत्रों में विशाल मेले का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल हुए।

रथयात्रा का इतिहास वर्ष 1692 से जुड़ा है, जब नागवंशी राजा ठाकुर एनीनाथ शाहदेव ने जगन्नाथपुर गांव में भगवान जगन्नाथ का मंदिर बनवाया और पुरी की तर्ज पर रथयात्रा की शुरुआत की। मंदिर निर्माण के एक वर्ष बाद रथयात्रा की परंपरा प्रारंभ हुई थी। यह मेला आज भी झारखंड की संस्कृति, एकता और विरासत को जीवंत बनाए हुए है।

झारखंडी संस्कृति की अनोखी झलक:

रथयात्रा मेले में झारखंड की आदिवासी और मूलवासी संस्कृति की झलक स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है। नागवंशी राजाओं और मुंडा पड़हा राजा मदरा मुंडा की परंपरा से जुड़े इस उत्सव में मुंडा, उरांव, महतो समाज समेत विभिन्न समुदायों की सहभागिता होती है। पूजा-पाठ से लेकर रथ निर्माण और संचालन तक सभी कार्यों में विभिन्न समाजों की भूमिका अहम मानी जाती है।

परंपरागत भोग और व्यंजन:

पुरी की तरह रांची में भी भगवान जगन्नाथ की पूजा विधि समान है, परंतु भोग में झारखंडी परंपरा दिखाई देती है। सुबह सूजी का हलवा, दोपहर में दाल-भात और मौसमी सब्जी, तथा रात में विशेष छिलका रोटी का भोग लगाया जाता है। मेले में धुस्का, बालूशाही, गाजा, गुलगुला जैसे पारंपरिक व्यंजन खूब बिकते हैं।

पारंपरिक वाद्ययंत्र और हथियारों की बिक्री:

मेला क्षेत्र में मांदर, बांसुरी, ढोल जैसे वाद्ययंत्र के साथ पारंपरिक हथियारों की बिक्री भी होती है। यह मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि सांस्कृतिक एकजुटता और पहचान का प्रतीक बन चुका है।

ट्रैफिक में बदलाव और सुरक्षा के व्यापक इंतजाम:

रथ यात्रा को देखते हुए प्रशासन ने 27 जून से 7 जुलाई तक ट्रैफिक में बदलाव किया है। धुर्वा गोलचक्कर, नया सराय रोड, जेएससीए स्टेडियम रोड और पुराना विधानसभा रोड जैसे मार्गों पर भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है। इसके अलावा कई मार्गों पर सामान्य वाहनों की आवाजाही भी बंद रहेगी। वैकल्पिक मार्गों और विशेष पार्किंग की व्यवस्था की गई है ताकि श्रद्धालुओं को असुविधा न हो।

प्रशासन की अपील:

प्रशासन ने आम नागरिकों से ट्रैफिक नियमों का पालन करने और शांतिपूर्ण तरीके से रथ यात्रा में भाग लेने की अपील की है। सुरक्षा के मद्देनजर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।

संस्कृति, आस्था और एकता का पर्व:

रांची की यह रथयात्रा सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि झारखंड की साझा संस्कृति और परंपरा की प्रतीक है। हर वर्ष की तरह इस बार भी श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है।

यातायात परिवर्तन (27 जून – 7 जुलाई, सुबह 8 बजे से रात 12 बजे तक):
नो एंट्री ज़ोन:

  • धुर्वा गोलचक्कर, नया सराय रोड, जेएससीए स्टेडियम रोड, पुराना विधानसभा रोड – भारी वाहन प्रतिबंधित।
  • धुर्वा गोलचक्कर से पुराना विधानसभा रोड और प्रभात तारा मैदान से शालीमार बाजार चौक – सभी वाहनों के लिए बंद।
  • तिरिल मोड़ से मौसीबाड़ी गोलचक्कार और शहीद मैदान से मौसीबाड़ी गोलचक्कार तक पूर्ण रोक।
  • प्रभात तारा से जगन्नाथपुर बाजार तक वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध।

वैकल्पिक मार्ग:

  • एचईसी और विधानसभा से आने वाले वाहन → तिरिल मोड़ से।
  • रिंग रोड से → जेएससीए स्टेडियम व शालीमार बाजार के रास्ते।
  • धुर्वा → प्रोजेक्ट भवन, चांदनी चौक, फिर बिरसा चौक से शहर में प्रवेश।

पार्किंग स्थल:

  • तुपुदाना, हटिया, धुर्वा गोलचक्कर, प्रभात तारा मैदान, तिरिल हेलीपैड, शहीद मैदान, पुराना विधानसभा मैदान, मौसीबाड़ी गोलचक्कार के पास।

Share this article

Facebook
Twitter X
WhatsApp
Telegram
 
August 2025
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
25262728293031