धरती का दर्द, हमारी जिम्मेदारी: पर्यावरण दिवस पर भारत की हरित क्रांति की पुकार

Share

अगर अब भी नहीं चेते, तो कल साँस लेना भी चुनौती होगा — इस पर्यावरण दिवस पर आइए, भारत को फिर से हरा-भरा बनाएं

Annu Jha

5 जून — विश्व पर्यावरण दिवस: हर साल यह दिन आता है, और हम सोशल मीडिया पर पेड़-पौधों की तस्वीरें पोस्ट कर के आगे बढ़ जाते हैं। लेकिन इस दिन का असली उद्देश्य है — हमें जगाना। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम जिस धरती पर जी रहे हैं, वह लगातार बीमार हो रही है — और इसका इलाज हम ही हैं।

भारत और पर्यावरण: एक पवित्र रिश्ता जो टूट रहा है

भारत में प्रकृति को हमेशा पूजा गया है। नदियाँ हमारी माँ हैं, वटवृक्ष जीवनदाता, और मिट्टी उपज का आधार। लेकिन आज यही प्रकृति प्रदूषण, सूखा, बंजर भूमि, और जलवायु परिवर्तन की मार झेल रही है।

कुछ चौंकाने वाले आँकड़े:

WHO (2023) के अनुसार, दुनिया के 20 में से 13 सबसे प्रदूषित शहर भारत में हैं।

नीति आयोग के अनुसार, भारत के 21 शहरों में 2025 तक पेयजल संकट गहरा सकता है।

भारत की लगभग 30% भूमि बंजर हो चुकी है या होती जा रही है।

दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) हर साल सर्दियों में “गंभीर” स्तर पार कर जाता है।

2025 की थीम: “भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और सूखा प्रतिरोध”

इस वर्ष का फोकस है — धरती की जमीन को फिर से उपजाऊ बनाना, बंजर क्षेत्रों को हरित बनाना, और सूखे से लड़ने की तैयारी करना। यह भारत जैसे कृषि-प्रधान देश के लिए बेहद ज़रूरी है, जहाँ किसानों की आजीविका सीधे मिट्टी और पानी पर निर्भर है।

जिन्होंने किया है बदलाव — प्रेरणा स्रोत

राजस्थान: स्थानीय समुदायों ने पारंपरिक जोहड़ और तालाबों को फिर से जीवंत किया।

महाराष्ट्र: किसानों ने खेतों की मेढ़ों पर सघन वृक्षारोपण का संकल्प लिया।

उत्तराखंड: महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों ने जंगलों को बचाने के लिए “वन सखी” अभियान शुरू किया।

दिल्ली: स्कूली बच्चों ने प्लास्टिक मुक्त स्कूल की शुरुआत की और अब मोहल्लों तक पहुँच बना ली।

अब आपकी बारी: क्या करें हम?

हर नागरिक, हर गांव, हर शहर 5 छोटे कदम अपनाए:

हर साल कम से कम 5 पेड़ लगाएं – और उनकी देखभाल करें।

पानी की बर्बादी रोकें – बाथरूम, रसोई और खेतों में।

सूखा और गीला कचरा अलग करें और प्लास्टिक का प्रयोग कम करें।

स्थानीय उत्पादन और परंपरागत कृषि को बढ़ावा दें।

बच्चों को प्रकृति से जोड़ें – यही स्थायी बदलाव की नींव है।

याद रखें:

“धरती हमें जीवन देती है — बदले में वह हमसे सिर्फ देखभाल चाहती है।”

“पेड़ लगाना केवल पर्यावरण की सेवा नहीं, अपनी आने वाली पीढ़ी को साँस देने का वादा है।”

Share this article

Facebook
Twitter X
WhatsApp
Telegram
 
December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031