छपरा: भारत के लिए एक ऐतिहासिक और गर्व का क्षण सामने आया है, जब बिहार के सारण जिले के मढ़ौरा स्थित वेबटेक रेल इंजन फैक्ट्री में बना पहला मेड इन इंडिया डीजल इंजन अब अफ्रीका की धरती पर दौड़ेगा। यह पहला मौका होगा जब पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बना रेल इंजन विदेश में उपयोग के लिए निर्यात किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस गौरवशाली क्षण के साक्षी बनेंगे और मढ़ौरा से रेल इंजन के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर गिनी गणराज्य के लिए रवाना करेंगे।
खास बातें:
- गंतव्य: पश्चिमी अफ्रीका का गिनी गणराज्य
- गति क्षमता: 100 किलोमीटर प्रति घंटे
- शक्ति: 4500 और 6000 हॉर्सपावर के डीजल इंजन
- कंपनी: वेबटेक (पूर्व में जनरल इलेक्ट्रिक), रेल मंत्रालय के साथ संयुक्त उद्यम
- उत्पादन आरंभ: 17 सितंबर, 2007 को शिलान्यास, 2019 में पहला इंजन तैयार
- निर्यात करार: गिनी को कुल 100 इंजन की आपूर्ति होगी
इंजीनियरिंग में आत्मनिर्भरता की मिसाल
मढ़ौरा रेल इंजन कारखाना अब तक भारतीय रेल को 700 इंजन की आपूर्ति कर चुका है और आने वाले वर्षों में यह संख्या और भी बढ़ेगी। कारखाना ऐसे इंजन बनाता है जो अंतरराष्ट्रीय उत्सर्जन मानकों को पूरा करते हैं और आधुनिक, पर्यावरण अनुकूल तकनीक से लैस होते हैं।
वैश्विक मंच पर भारत की पहचान
गिनी गणराज्य को 100 इंजनों का निर्यात यह दर्शाता है कि भारत अब वैश्विक रेल इंजन निर्माण के क्षेत्र में भी अपनी मजबूत पहचान बना रहा है। यह निर्यात ना केवल मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियानों की सफलता का प्रतीक है, बल्कि देश की इंजीनियरिंग ताकत और विनिर्माण क्षमता का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन भी है।
यह कदम न केवल बिहार बल्कि पूरे भारत के लिए प्रेरणास्पद है, और यह दिखाता है कि भारतीय निर्माण उद्योग अब केवल घरेलू जरूरतों तक सीमित नहीं, बल्कि विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार है।