JAMUI : बिहार के जमुई जिले से आधार कार्ड प्रणाली की गंभीर खामी सामने आई है, जिसने न सिर्फ सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि गरीब परिवारों को परेशानियों के भंवर में भी डाल दिया है। यहां एक नहीं, बल्कि दो ऐसे मामले प्रकाश में आए हैं, जहां एक ही आधार नंबर दो अलग-अलग बच्चों को जारी कर दिया गया है। यह चौंकाने वाला मामला स्कूली बच्चों से जुड़ा है, जो सरकारी योजनाओं से वंचित हो रहे हैं।
जिले के सदर प्रखंड के प्रतापपुर गांव निवासी मोहम्मद जुल्फिकार की बेटी राहत परवीन और जमुई शहर के नीमा मोहल्ला निवासी मोहम्मद आलमगीर की बेटी राहत परवीन दोनों के आधार कार्ड पर एक ही आधार नंबर अंकित है। नाम और जन्मतिथि भी समान हैं, लेकिन वे अलग-अलग गांवों की रहने वाली हैं और उनके पिता भी अलग-अलग हैं। इस आधार कार्ड गड़बड़ी के चलते आलमगीर की बेटी को सभी सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है, जबकि जुल्फिकार की बेटी स्कूल में दाखिले से लेकर राशन और छात्रवृत्ति तक हर सुविधा से वंचित है।
मोहम्मद जुल्फिकार ने बताया कि वे बीते छह महीने से अपनी बेटी के आधार नंबर को ठीक करवाने के लिए प्रखंड कार्यालय और आधार सेंटर के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं मिला। उन्होंने लोक अदालत का भी दरवाजा खटखटाया है, लेकिन तारीख पर तारीख मिल रही है। अब हालात ऐसे हैं कि उनकी बेटी का स्कूल में दाखिला तक नहीं हो पा रहा और वह पढ़ाई से वंचित हो रही है। इस अजीबोगरीब मामले का खुलासा तब हुआ जब जुल्फिकार राशन लेने सरकारी दुकान पर पहुंचे। डीलर ने बताया कि राहत परवीन नाम की बच्ची का राशन पहले ही नीमा मोहल्ले की राहत परवीन द्वारा लिया जा चुका है। जब जांच की गई, तो पता चला कि दोनों बच्चियों का आधार नंबर एक ही है।
इस मामले में मोहम्मद आलमगीर ने साफ कहा कि उनकी बेटी का आधार कार्ड सही तरीके से बना है और वे इसे नियमित रूप से उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि एक ही नंबर से दो आधार बन गए हैं, तो इसमें उनकी क्या गलती है? वे स्वयं भी हैरान हैं लेकिन दोषी नहीं मानते। इससे भी गंभीर मामला जिले में सामने आया है, जहां सगे भाई-बहन के आधार कार्ड पर एक ही नंबर दर्ज है। इससे दोनों बच्चों को सरकारी योजनाओं में भारी परेशानी हो रही है। स्कूल में नामांकन से लेकर योजनाओं के लाभ तक हर प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।
यह मामला UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) की प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है, आधार को देश की सबसे भरोसेमंद पहचान प्रणाली माना जाता है लेकिन यदि इसमें इस तरह की तकनीकी या मानव त्रुटियां सामने आएं तो गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों का भरोसा सिस्टम से उठ सकता है।