RANCHI : झारखंड में अब सरकारी योजनाओं का लाभ आम जनता तक नहीं पहुंचाने वाले बैंकों को सरकार की सख्ती का सामना करना पड़ेगा। राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने वित्त सचिव को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि सरकारी खातों के संचालन के लिए बैंकों के चयन में कड़े मानक तय किए जाएं। अब उन्हीं बैंकों में सरकारी खाते खोले जाएंगे, जो योजनाओं के क्रियान्वयन में बेहतर प्रदर्शन करेंगे।
सरकार की सख्ती से बदलेगी बैंकिंग व्यवस्था
राज्य सरकार को लगातार यह शिकायतें मिल रही थीं कि बैंकों की उदासीनता के कारण आम लोग योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। कहीं छात्रों को एजुकेशन लोन देने में आनाकानी की जा रही थी, तो कहीं किसानों को ऋण देने से इनकार किया जा रहा था। बैंकों की तरफ से हमेशा यही तर्क दिया जाता था कि मुख्यालय द्वारा तय मानकों के अनुरूप आवेदनकर्ता खरा नहीं उतरता, इसलिए मदद नहीं की जा सकती।
पुरानी व्यवस्था में सुधार की जरूरत
अब तक विभागीय खाते खोलने के लिए राज्य सरकार ने कोई स्पष्ट मानक तय नहीं किए थे, और बैंक अपने स्तर पर विभागों से संपर्क कर खाते खोल लेते थे। लेकिन नई व्यवस्था में ऐसा नहीं होगा। अब वित्त विभाग की अनुमति के बिना कोई खाता नहीं खुलेगा। साथ ही, जिन बैंकों का सामाजिक और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदर्शन औसत से बेहतर होगा, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी।
बेहतर करने वाले बैंकों को मिलेगा फायदा
नई व्यवस्था से जहां एक ओर योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी, वहीं दूसरी ओर बेहतर काम करने वाले बैंकों को प्रोत्साहन भी मिलेगा। इससे बैंकों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और अंततः इसका लाभ आम जनता को मिलेगा।
सरकार ने लिया सबक, अब नहीं चलेगा पुराना ढर्रा
वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया है कि बैंकों को अब पहले की तरह मनमाने ढंग से काम करने की छूट नहीं मिलेगी। पहले की तरह विभागीय हस्तक्षेप के बावजूद कुछ ही मामलों में लाभ मिलता था, बाकी फिर ढर्रे पर लौट आते थे। लेकिन अब ऐसी स्थिति से छुटकारा पाने के लिए वित्त विभाग को ही सख्त कदम उठाने को कहा गया है।