PATNA : बिहार मदरसा शिक्षा बोर्ड के शताब्दी समारोह के दौरान उस वक्त हंगामा मच गया जब मंच पर मौजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने मदरसा शिक्षकों ने वेतन को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। शिक्षकों का आरोप है कि वर्ष 2011 में नीतीश कुमार ने राज्य के 2459 से अधिक मदरसों के शिक्षकों को वेतन देने का वादा किया था, लेकिन आज भी 1646 मदरसे इस वादे के पूरे होने का इंतजार कर रहे हैं।
बता दें कि बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड की स्थापना 4 अगस्त 1922 को हुई थी। वर्ष 1981 में बने अधिनियम के बाद इसे स्वायत्त बोर्ड का दर्जा मिला, जिसके बाद राज्य के मदरसों को अनुदान और मान्यता देने की प्रक्रिया को औपचारिक रूप से मजबूती मिली।
राज्य में इस समय 1942 अनुदानित और करीब 2430 गैर-अनुदानित मदरसे संचालित हो रहे हैं। इन मदरसों में कार्यरत शिक्षकों को वेतन श्रेणियों के अनुसार निर्धारित किया गया है। वर्ष 2023 में राज्य सरकार ने मदरसा शिक्षकों के मूल वेतन में 15% की वृद्धि की थी, जिसे प्रभावी रूप से वर्ष 2021 से लागू किया गया।
प्रधान मौलवी – ₹23,650
प्रशिक्षित स्नातक सहायक शिक्षक – ₹22,840
मौलवी नवीन (प्रशिक्षित इंटरमीडिएट) – ₹21,290
हाफिज सहायक शिक्षक – ₹20,690
मदरसा शिक्षकों की सबसे बड़ी समस्या समय पर वेतन का न मिलना है, जुलाई 2024 में भी 20 हजार से अधिक संस्कृत और मदरसा शिक्षकों ने वेतन और पेंशन जैसी मांगों को लेकर पटना में बड़ा विरोध प्रदर्शन किया था। शिक्षकों का कहना है कि राज्य सरकार से बार-बार आश्वासन मिलने के बावजूद उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है, वहीं शिक्षा विभाग की ओर से इस मुद्दे पर अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
बोर्ड के 100 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित यह समारोह शिक्षकों के आक्रोश और नाराजगी के चलते विवादों में घिर गया। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार इस बार शिक्षकों की मांगों पर क्या कदम उठाती है या फिर यह आंदोलन और व्यापक रूप लेगा।