बिहार की राजनीति में सुपर संडे की झलक हर दल अपने एजेंडे के साथ मैदान में – सत्ता की तैयारी में जुटे सभी खेमें
पटना: बिहार की राजनीति में आज का दिन ‘सुपर संडे’ बन गया है, जहां विभिन्न दल और संगठन सियासी शक्ति प्रदर्शन में जुटे हुए हैं। विधानसभा चुनावों की आहट के बीच पटना से लेकर राजगीर और गया तक एक के बाद एक बड़े राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।
तेजस्वी यादव का वैश्य सम्मेलन (पटना)
राजद नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव आज पटना के बापू सभागार में वैश्य प्रतिनिधि सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। इसमें राज्यभर के वैश्य समाज के प्रतिनिधियों के जुटने की संभावना है। इसे सामाजिक समीकरण साधने और वैश्य वोट बैंक को साधने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
चिराग पासवान का ‘भीम संकल्प समागम’ (राजगीर)
एनडीए घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान राजगीर के हॉकी मैदान में बहुजन भीम संकल्प समागम को संबोधित करेंगे। पार्टी प्रवक्ता के अनुसार, इस कार्यक्रम में 3 लाख से अधिक कार्यकर्ताओं की भागीदारी संभावित है।
उपेंद्र कुशवाहा की महारैली (गया)
राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा गया के गांधी मैदान में संवैधानिक अधिकार और परिसीमन सुधार को लेकर महारैली करेंगे। इससे पहले मुजफ्फरपुर में भी उन्होंने इसी मुद्दे पर रैली की थी। कुशवाहा का यह कार्यक्रम एनडीए के भीतर सामाजिक समीकरणों को मजबूत करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन (गांधी मैदान, पटना)
नए वक्फ कानून में संशोधन के खिलाफ मुस्लिम संगठनों ने पटना के गांधी मैदान में वक्फ बचाओ-संविधान बचाओ कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया है। इसमें सरकार को ज्ञापन सौंपकर पुराने कानून में किए गए संशोधनों को वापस लेने की मांग की जाएगी।
शिवाजी की प्रतिमा की मांग को लेकर रैली (मरीन ड्राइव, पटना)
छत्रपति शिवाजी महाराज सामाजिक समरसता अभियान के तहत आज पटना के मरीन ड्राइव पर रैली का आयोजन किया गया है। रैली के माध्यम से शिवाजी की प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ गवर्नेंस के रूप में स्थापित करने की मांग की जा रही है।
प्रशांत किशोर की पदयात्रा भी जारी
इसी बीच प्रशांत किशोर की जन सुराज यात्रा भी अपने अंतिम चरणों की ओर बढ़ रही है। रविवार को वे सीवान और पश्चिम चंपारण में जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं।
बिहार में आज का दिन राजनीतिक गहमा-गहमी से भरपूर है। अलग-अलग सामाजिक वर्गों को साधने की कोशिश में सियासी दल पूरे दमखम से मैदान में हैं। हर मंच पर अलग एजेंडा, लेकिन मकसद एक – 2025 की सत्ता पर कब्जा।