पटना: बिहार में मानसून के सक्रिय होते ही राज्य में बाढ़ का संकट गहरा गया है। राजधानी पटना समेत कई जिलों में गंगा, सोन और पुनपुन नदियों के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पटना के दियारा क्षेत्र समेत निचले इलाकों में पानी भरने लगा है, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
गंगा ने पार किया खतरे का निशान
गंगा नदी ने कई स्थानों पर खतरे के निशान को पार कर लिया है। दीघा घाट पर शनिवार सुबह गंगा का जलस्तर 50.29 मीटर रिकॉर्ड किया गया, जो खतरे के निशान 50.45 मीटर के करीब है। वहीं, गांधी घाट पर जलस्तर खतरे के निशान से 33 सेमी ऊपर पहुंच गया है और पानी ऊपर की सीढ़ियों तक बहने लगा है। हाथीदह में भी गंगा का जलस्तर 29 सेमी ऊपर है।
सोन और पुनपुन नदी का भी रौद्र रूप
मनेर में सोन नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 10 सेमी ऊपर पहुंच गया है। श्रीपालपुर में पुनपुन नदी 56 सेमी ऊपर बह रही है। नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि देखी जा रही है, जिससे तटीय इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
दनियावां में हालात गंभीर
दनियावां प्रखंड की महात्माइन नदी में उफान के कारण दनियावां-नागरनौसा एनएच-30ए पर चार से पांच फुट तक पानी भर गया है। हालांकि, गाड़ियों की आवाजाही अभी चालू है। दनियावां जमींदारी बांध पर भी खतरा मंडरा रहा है। बांध के ओवरफ्लो को रोकने के लिए जल संसाधन विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई है और बालू भरे बोरे लगाए जा रहे हैं।
प्रशासन सतर्क, निगरानी तेज
पटना जिला प्रशासन और जल संसाधन विभाग लगातार हालात पर नजर बनाए हुए हैं। एडीएम आपदा द्वारा दियारा क्षेत्रों का निरीक्षण किया जा रहा है। गंगा, सोन और पुनपुन नदियों के तटबंधों की निगरानी के लिए इंजीनियरों की टीमों को तैनात किया गया है। विभाग ने सभी तटबंधों के सुरक्षित होने का दावा किया है।
जिला आपदा केंद्र का इमरजेंसी नंबर जारी
बाढ़ की स्थिति को देखते हुए पटना जिला प्रशासन ने 24 घंटे के लिए आपातकालीन संचालन केंद्र सक्रिय कर दिया है। किसी भी आपात स्थिति में नागरिक नीचे दिए गए नंबर पर संपर्क कर सकते हैं: इमरजेंसी नंबर: 0612-2210118
पुनपुन नदी में निर्माण कार्य प्रभावित
पुनपुन नदी के सस्पेंशन ब्रिज का सपोर्टिंग एंगल बह जाने से निर्माण कार्य फिलहाल रोक दिया गया है। वहीं, पटना बचाओ सुरक्षा बांध पर प्रशासन ने गश्त तेज कर दी है।
सावधानी बरतने की अपील
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से दूर रहें और किसी भी आपात स्थिति में प्रशासन के संपर्क में रहें। तटीय व निचले इलाकों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं।