PATNA : बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS) डॉ. एस. सिद्धार्थ ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) और इस्तीफे से जुड़ी खबरों का सख्ती से खंडन किया है। मीडिया में सूत्रों के हवाले से यह दावा किया जा रहा था कि एस. सिद्धार्थ ने निजी कारणों का हवाला देते हुए 17 जुलाई को वीआरएस के लिए आवेदन दिया है। सोशल मीडिया पर यह खबर तेजी से वायरल हो रही थी कि वे जदयू से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अब खुद एस. सिद्धार्थ ने इन सभी अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया है।
चुनावी अटकलों ने पकड़ी थी रफ्तार
वायरल हो रही खबरों के मुताबिक यह कहा जा रहा था कि एस. सिद्धार्थ बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू के टिकट पर नवादा या गया जिले की किसी आरक्षित सीट से मैदान में उतर सकते हैं। चर्चा ये भी थी कि वे वीआरएस लेकर राजनीति में कदम रखने की तैयारी कर रहे हैं। माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उन्हें नया राजनीतिक चेहरा बनाकर राज्य में ओबीसी और दलित वोट बैंक को साधना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री के बेहद करीबी माने जाते हैं सिद्धार्थ
तमिलनाडु कैडर के 1991 बैच के आईएएस अधिकारी एस. सिद्धार्थ को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी अफसरों में गिना जाता है। वे वर्तमान में शिक्षा विभाग के एसीएस के साथ-साथ मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, वायुयान निदेशालय के निदेशक और एल.एन. मिश्रा इंस्टीच्यूट के निदेशक के पदों पर कार्यरत हैं। उनके कार्यकाल में बिहार शिक्षा विभाग में कई अहम सुधार हुए हैं, जिनमें मॉडल स्कूलों की स्थापना, शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम और ऑनलाइन शिकायत निवारण तंत्र जैसे महत्वपूर्ण कदम शामिल हैं।
विवादों से भी रहा है नाता
जहां एक ओर एस. सिद्धार्थ के प्रशासनिक निर्णयों की सराहना हुई है, वहीं शिक्षकों के तबादले और सख्त नीतियों को लेकर वे कुछ विवादों का भी हिस्सा रहे हैं। कई शिक्षक संगठनों ने उनके फैसलों पर सवाल उठाए थे, लेकिन विभागीय स्तर पर उनके सुधारात्मक प्रयासों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हालांकि डॉ. सिद्धार्थ ने वीआरएस की खबर को पूरी तरह गलत बताया है, लेकिन उनके राजनीति में प्रवेश की अटकलें अब भी शांत नहीं हुई हैं। इस विषय पर सरकार की ओर से भी कोई आधिकारिक बयान अब तक सामने नहीं आया है।