PATNA : बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा राज्य में चलाए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (SIR) को लेकर सड़क से संसद और सुप्रीम कोर्ट तक बहस छिड़ चुकी है। जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मुद्दे पर खामोश हैं, वहीं तेजस्वी यादव, कांग्रेस और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी इस प्रक्रिया को एक साजिश करार दे रहे हैं।
ECI ने 24 जून 2025 से शुरू किए गए इस पुनरीक्षण अभियान को मतदाता सूची को शुद्ध करने की कवायद बताया है लेकिन विपक्षी दलों का आरोप है कि यह गरीब, दलित, मुस्लिम और प्रवासी वोटरों को सूची से बाहर करने की साजिश है। तेजस्वी यादव ने यहां तक कहा है कि अगर 1% वोटर भी हटते हैं तो 35 विधानसभा सीटों का गणित बदल सकता है।
पहले चरण के आंकड़ों के अनुसार अब तक 35.5 लाख से लेकर 65.2 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। कुछ रिपोर्ट्स में यह संख्या 70 लाख तक पहुंचने की आशंका जताई गई है, अगर ऐसा होता है तो बिहार की 243 विधानसभा सीटों में औसतन हर सीट से 14,609 से लेकर 28,807 वोटर सूची से बाहर हो सकते हैं। इसका सीधा असर चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है, क्योंकि 2020 के विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर जीत-हार का अंतर महज 1,000 से 2,000 वोटों का था।
इस बार BLO और 1.6 लाख BLA ने घर-घर जाकर 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 98.01% का सत्यापन किया है। अब तक 42 लाख वोटर अपने पते पर नहीं मिले, जबकि 11,000 मतदाताओं का कोई पता नहीं चल पाया। ECI ने 1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी करने का फैसला लिया है, इसके बाद 1 सितंबर तक आपत्तियां और सुधार स्वीकार किए जाएंगे अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होगी।
विपक्षी महागठबंधन ने इस प्रक्रिया को दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक और प्रवासी वोटरों के खिलाफ साजिश बताया है। कांग्रेस और राजद का कहना है कि यह एक सोची-समझी रणनीति है ताकि सत्ताधारी दलों को फायदा पहुंचाया जा सके। वहीं बीजेपी और जेडीयू ने इसे मतदाता सूची की सफाई और पारदर्शिता का हिस्सा बताया है, दोनों दलों ने दावा किया है कि अवैध और फर्जी पंजीकरण रोकने के लिए यह जरूरी कदम है।
चुनाव आयोग ने बताया है कि इस अभियान में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों के फर्जी नाम भी हटाए जा रहे हैं। राज्य के 261 निकायों के 5,683 वार्डों में कैंप लगाकर लोगों से सत्यापन फॉर्म भरवाए जा रहे हैं, अब तक 88.6% लोगों ने फॉर्म जमा कर दिया है, जबकि 54 लाख ने अभी तक ऐसा नहीं किया। अगर वाकई 70 लाख तक मतदाताओं के नाम सूची से हटते हैं तो 2025 का विधानसभा चुनाव बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर ला सकता है। हर सीट पर औसतन हजारों वोटर कम होना कई दलों की रणनीति और नतीजों को पूरी तरह बदल सकता है।