RANCHI : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हालिया बयान ने झारखंड की सियासत में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। एक प्रतिष्ठित न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में शाह ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सराहना करते हुए उन्हें लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक प्रक्रिया का प्रतीक बताया। शाह ने कहा कि सोरेन ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया, कोर्ट से बरी हुए और फिर 2024 के उपचुनाव में जनता का समर्थन हासिल कर दोबारा मुख्यमंत्री बने यह लोकतंत्र की शक्ति को दर्शाता है।
गौरतलब है कि हाल ही में अमित शाह और हेमंत सोरेन रांची में आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में एक मंच पर नजर आए थे। उस मुलाकात के कुछ ही समय बाद शाह का यह बयान सामने आना कई मायनों में अहम माना जा रहा है। यह बयान इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि यही अमित शाह 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान साहिबगंज और दुमका की रैलियों में सोरेन सरकार को सबसे भ्रष्ट करार दे चुके हैं। उस समय शाह ने झारखंड में घुसपैठ, भ्रष्टाचार और अव्यवस्था को लेकर जोरदार हमले बोले थे। ऐसे में अब सोरेन की तारीफ करना बीजेपी की रणनीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह बयान बीजेपी की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जानकारों का कहना है कि अमित शाह का यह कदम विपक्ष के साथ तल्खियों को कम करने संवाद की गुंजाइश बढ़ाने और आगामी चुनावों के मद्देनज़र सियासी समीकरणों को साधने की कोशिश हो सकती है। खासकर बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह बयान महत्वपूर्ण हो जाता है, जहां बीजेपी और जेडीयू गठबंधन का सीधा मुकाबला महागठबंधन से है।
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि जब कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष संसद में लगातार भ्रष्टाचार, महंगाई और घुसपैठ जैसे मुद्दों पर सरकार को घेर रहा है ऐसे समय में अमित शाह का यह नरम रुख विपक्ष की आक्रामकता को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। इससे बीजेपी की छवि एक समावेशी और संवैधानिक मूल्यों का सम्मान करने वाली पार्टी के रूप में पेश हो सकती है।
फिलहाल हेमंत सोरेन या उनकी पार्टी जेएमएम की ओर से अमित शाह के इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, बीते समय में सोरेन सरकार ने बीजेपी पर राज्य में घुसपैठ जैसे मुद्दों को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि घुसपैठ की जड़ें बीजेपी शासित राज्यों से हैं।
झारखंड की राजनीति में इस बयान को संभावित बदलाव की आहट के रूप में देखा जा रहा है, क्या बीजेपी और क्षेत्रीय दलों के बीच नई समीकरण बन सकते हैं? क्या बिहार और झारखंड में विपक्ष के अंदर सेंध लगाने की तैयारी है? या यह सिर्फ एक कूटनीतिक प्रशंसा है? इन सभी सवालों के जवाब आने वाले समय में साफ होंगे।