PATNA : बिहार की राजनीति एक बार फिर से गरमाने लगी है। इसी कड़ी में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का 6 जून को प्रस्तावित बिहार दौरा सियासी हलकों में चर्चाओं का केंद्र बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया दौरे के बाद राहुल गांधी की एंट्री को महागठबंधन के लिए रणनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है। इस दौरे का मकसद केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरना नहीं, बल्कि महागठबंधन के दलों के बीच सीट बंटवारे पर अंतिम सहमति बनाने की दिशा में भी एक निर्णायक कदम उठाना है।
नालंदा से शुरू होगा सियासी मिशन
सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी 6 जून को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गढ़ नालंदा में आयोजित होने वाले संविधान संरक्षण सम्मेलन को संबोधित करेंगे। यह कार्यक्रम सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर आयोजित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य अति पिछड़ा वर्ग (EBC), दलित और मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट करना है। यह सम्मेलन कांग्रेस की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके जरिए वह बिहार में अपनी जमीनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
तेजस्वी से हो सकती है मुलाकात, सीट बंटवारे पर नजर
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी इस बार अपने बिहार दौरे में आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव से भी मुलाकात कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि यह मुलाकात पटना एयरपोर्ट पर कुछ समय के लिए हो सकती है। इस बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि महागठबंधन के अंदर सीट बंटवारे को लेकर तनातनी चल रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन केवल 19 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी थी। इस बार कांग्रेस 70 से अधिक सीटों की मांग कर रही है और साफ कर चुकी है कि वह बी-टीम बनकर चुनाव नहीं लड़ेगी। वहीं आरजेडी अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव के नेतृत्व में अधिकतम सीटों पर दावा ठोक रही है।
पटना में कार्यकर्ताओं को देंगे संदेश, होगा इंदिरा भवन का उद्घाटन
राहुल गांधी नालंदा के बाद पटना में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। इस दौरान वे नए इंदिरा भवन का उद्घाटन भी करेंगे। पार्टी की युवा इकाई NSUI की ओर से चलाई जा रही ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा का यह विस्तार भी है। इस यात्रा की शुरुआत कन्हैया कुमार ने अपने गृह जिले बेगूसराय से की थी। इसका उद्देश्य बिहार के युवाओं की बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाना है।
मोदी के दौरे के बाद राहुल की एंट्री, क्या है रणनीति ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे के तुरंत बाद राहुल गांधी की एंट्री को कांग्रेस की जवाबी रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। खासकर ऐसे समय में जब महागठबंधन के अंदर दरारें दिखने लगी थीं। पप्पू यादव जैसे नेताओं की नाराजगी, सीट बंटवारे को लेकर असहमति और मुख्यमंत्री पद को लेकर स्पष्टता का अभाव।
तेजस्वी के नाम पर सस्पेंस, कांग्रेस ने किया संकेत
महागठबंधन में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की चर्चा है, लेकिन कांग्रेस ने अब तक इस पर खुलकर समर्थन नहीं दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट और बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अजीत शर्मा पहले ही कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री का फैसला चुनाव के बाद होगा। इसे आरजेडी पर दबाव बनाने की कांग्रेस की रणनीति माना जा रहा है, जिससे अधिक सीटें हासिल की जा सकें। हालांकि राहुल गांधी का यह दौरा महज एक सम्मेलन तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि इसके जरिए बिहार में विपक्षी एकता को मजबूत करने और एनडीए के खिलाफ एक ठोस मोर्चा खड़ा करने की कोशिश होगी। अगर तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के बीच बैठक में सीट बंटवारे पर सहमति बन जाती है, तो यह महागठबंधन के लिए एक बड़ा गेमचेंजर साबित हो सकता है।