रांची: राजधानी रांची के ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर (शिवालय) पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। हाल ही में मंदिर की जांच करने पहुंचे तकनीकी दल ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। उनके अनुसार, पहाड़ी की मिट्टी काफी ढीली हो चुकी है और चूहे इसकी नींव को अंदर से खोखला कर रहे हैं। इस कारण मंदिर की स्थिरता पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
तकनीकी टीम की चेतावनी
राज्य सरकार की ओर से गठित तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने मंदिर स्थल का निरीक्षण किया। दल के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अब पहाड़ी पर किसी भी प्रकार का नया निर्माण कार्य नहीं किया जाना चाहिए। मिट्टी की मौजूदा हालत और चूहों की बढ़ती संख्या को देखते हुए टीम ने आगामी छह महीनों में विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंपने का निर्णय लिया है।
चूहों का आतंक
मंदिर परिसर में चूहों की बढ़ती संख्या एक नई मुसीबत बनकर सामने आई है। ये चूहे दीवारों, फर्श और नींव में सुरंगें बनाकर पूरे ढांचे को खोखला कर रहे हैं। यही नहीं, परिसर में लगे पेड़ों की जड़ें भी प्रभावित हो रही हैं। कई जगहों पर फर्श धंस चुका है, जिसे केवल टाइल्स से ढंककर छुपाने की कोशिश की जा रही है।

अधूरा गार्डवॉल और मिट्टी का कटाव
पहाड़ी की मिट्टी को रोकने के लिए गार्डवॉल का निर्माण शुरू किया गया था, लेकिन यह कार्य आज तक अधूरा पड़ा है। नतीजतन बारिश के मौसम में मिट्टी का कटाव जारी है, जिससे पहाड़ी, मंदिर और आसपास की आबादी सभी खतरे में हैं।
सौंदर्यीकरण या बर्बादी?
पिछले एक दशक में मंदिर के सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, परन्तु ज़मीनी हालात चिंताजनक बने हुए हैं। अब तक केवल सीढ़ियों को बार-बार दुरुस्त किया गया है:
- 1947: सागरमल चौधरी और शीशा महाराज ने पहली सीढ़ी बनवाई।
- 1985, 1995: सीढ़ियों का पुनर्निर्माण।
- 2003: टाइल्स लगाया गया (78 लाख की लागत)।
- 2025: करोड़ों की लागत से लाल पत्थर का कार्य अंतिम चरण में।
मंदिर की नींव कमजोर, नई निर्माण योजनाएं रोकने की सिफारिश
विशेषज्ञों की टीम के अनुसार 2016 में मंदिर के नीचे बना यात्री शेड हटाने और उसके बाद कई जगहों पर पिलर लगाने से मंदिर की नींव और भी कमजोर हुई है। निर्माण के चलते मंदिर की संरचना को स्थायी नुकसान हुआ है।
पहाड़ी मंदिर, जो श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है, आज संरचनात्मक संकट में फंसा है। यदि समय रहते चूहों पर नियंत्रण, मिट्टी की सुरक्षा और गार्डवॉल का निर्माण नहीं हुआ, तो यह ऐतिहासिक धरोहर भविष्य में गंभीर खतरे में पड़ सकती है। सरकार को तकनीकी दल की सिफारिशों के अनुसार तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है।