SAHARSA : बिहार में मानसून आते ही नदियों के उफान के साथ-साथ पुलों की हकीकत भी उजागर होने लगती है। बीते साल जब एक महीने के अंदर करीब दर्जनभर पुल बह गए थे, तब यह साफ हो गया था कि बिहार के इंफ्रास्ट्रक्चर की नींव कितनी कमजोर है। अब सहरसा से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने प्रशासनिक दावों की पूरी पोल खोल दी है।
सहरसा जिले के महिषी प्रखंड स्थित नहरवार पंचायत में धमुरा नदी पर एक पुल का निर्माण पांच साल पहले शुरू हुआ था। एक ओर से यह पुल देखने में एकदम ‘चकाचक’ नजर आता है पक्की सड़क, मजबूत पिलर, और सजा हुआ ढांचा। लेकिन दूसरी ओर इसका हाल ऐसा है कि वहां से गुजरने की कोई हिम्मत नहीं करता, पुल एकतरफा बना है यानी बीच रास्ते में जाकर सड़क ही खत्म हो जाती है उसके आगे सिर्फ गहरी नदी और मौत का खतरा।
पांच साल से अधूरा, काम बीच में ही रोक दिया गया
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह पुल गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए बनाया गया था, लेकिन निर्माण कार्य को बीच में ही रोक दिया गया। नतीजा ये है कि आज भी गांव के हजारों लोग बारिश के दिनों में नाव से नदी पार करने को मजबूर हैं। कई बार लोग जान जोखिम में डालकर नदी के तेज बहाव में पैदल ही पार करते हैं।
बरसात में हालात और भी खराब
मानसून के दौरान धमुरा नदी में जलस्तर बढ़ने से गांव टापू बन जाता है, ऐसे में बीमारों को अस्पताल पहुंचाना हो या बच्चों को स्कूल भेजना हर बार एक बड़ा संघर्ष होता है। ग्रामीणों का कहना है कि यह पुल यदि पूरा हो जाता तो उनकी आधी परेशानियां खुद-ब-खुद खत्म हो जातीं। ग्रामीण प्रशासन और सरकार से बार-बार मांग कर चुके हैं कि अधूरे पुल को पूरा कराया जाए, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है, कार्रवाई नहीं।