PATNA : बिहार की राजनीति में एक बार फिर आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि में जो हालिया बढ़ोतरी की है, वह नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के लगातार दबाव और जनता के बीच उनके वादों के प्रचार-प्रसार का परिणाम है। RJD का दावा है कि पिछले 20 वर्षों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वृद्धजनों, विधवा महिलाओं और दिव्यांगजनों की पेंशन में कोई सार्थक वृद्धि नहीं कर पाए लेकिन तेजस्वी यादव द्वारा 1500 रूपये मासिक पेंशन की घोषणा और इस मुद्दे को ज़ोरदार तरीके से उठाने के कारण सरकार को सार्वजनिक दबाव के आगे झुकना पड़ा।
तेजस्वी यादव की ओर से हाल ही में यह घोषणा की गई थी कि RJD सरकार बनने पर सभी लाभार्थियों को 1500रूपये प्रतिमाह पेंशन दी जाएगी और इसे महंगाई दर के अनुसार समय-समय पर संशोधित किया जाएगा। RJD का कहना है कि इसी वादे से घबराकर नीतीश सरकार को आनन-फानन में पेंशन को 1100रूपये तक बढ़ाना पड़ा।
सत्ता पक्ष, विपक्ष की सोच का कर रहा है अनुकरण
आरजेडी नेताओं का आरोप है कि एनडीए और मुख्यमंत्री अब विपक्ष की घोषणाओं और दृष्टिकोण का अनुसरण कर रहे हैं। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि सरकार की यह रणनीति इस बात को दर्शाती है कि एनडीए केवल चुनावी फायदे के लिए फैसले ले रही है, न कि जनता की भलाई के लिए।
एक बयान में पार्टी की ओर से कहा गया जो काम 20 सालों में नहीं हुआ, वो तेजस्वी यादव के एक घोषणा पत्र से हो गया। सरकार की यह प्रतिक्रिया साबित करती है कि नीतीश कुमार अब थक चुके हैं और सिर्फ तेजस्वी यादव की नीतियों की नकल करने को मजबूर हैं।
जनता असल और नकल का जानती है फर्क
RJD ने दावा किया कि विपक्ष में रहते हुए उन्होंने सरकार को जनता की भलाई के फैसले लेने के लिए बाध्य किया है और यह बताता है कि सत्ता में आने पर उनकी सरकार किस तेजी और दूरदृष्टि के साथ काम करेगी। पार्टी का यह भी कहना है कि बिहार की जनता अब यह भलीभांति समझ चुकी है कि कौन सच्चे अर्थों में उनके लिए काम कर रहा है और कौन केवल दिखावे के लिए योजनाएं बना रहा है।