Birsa Munda 125th Death Aniversary: डोंबारी बुरू – जहां गूंजा था “अबुआ दिशुम, अबुआ राज”, बिरसा मुंडा की अंतिम लड़ाई की ऐतिहासिक भूमि

Share

खूंटी, झारखंड: धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि 9 जून को पूरे झारखंड में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई जाती है। इस दिन की खास अहमियत इसलिए भी है क्योंकि यह झारखंडी अस्मिता, संघर्ष और बलिदान की प्रतीक उस ऐतिहासिक धरती की याद दिलाता है, जहां बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के खिलाफ अपनी अंतिम लड़ाई लड़ी थी — डोंबारी बुरू।

डोंबारी बुरू: वीरता और बलिदान की भूमि

डोंबारी बुरू, खूंटी जिले के मुरहू प्रखंड में स्थित एक घना जंगलों से घिरी ऊंची पहाड़ी है। यह स्थान कोई आम पर्वत नहीं, बल्कि एक प्रतीक है — झारखंड के आदिवासी समाज की स्वाधीनता की चेतना और आत्मसम्मान का। यहीं पर 9 जनवरी 1900 को बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के खिलाफ उलगुलान (विद्रोह) की अंतिम लड़ाई लड़ी थी।

“अबुआ दिशुम, अबुआ राज” की हुंकार

यही वह पहाड़ी है, जहां से अंग्रेजों के खिलाफ आवाज़ उठी –
“अबुआ दिशुम, अबुआ राज” (हमारा देश, हमारा राज)।
यह नारा न सिर्फ ब्रिटिश सत्ता को चुनौती था, बल्कि आदिवासी समुदाय के आत्मनिर्णय, पहचान और हक के संघर्ष का प्रतीक भी बना। डोंबारी बुरू से यह हुंकार पूरे जंगल में गूंजी थी और सैकड़ों लोग बिरसा मुंडा के साथ इस आंदोलन का हिस्सा बने।

वीर शहीदों की अमर गाथा

इस संघर्ष में सैकड़ों आदिवासियों ने शहादत दी। डोंबारी बुरू परिसर में स्थित शिलापट्ट पर उन वीर शहीदों के नाम दर्ज हैं जिन्होंने बिरसा मुंडा के साथ अपनी जान की आहुति दी। उनमें शामिल हैं:

  • हाथी राम मुंडा
  • हाड़ी मुंडा
  • सिंगरा मुंडा
  • बंकन मुंडा की पत्नी
  • मझिया मुंडा की पत्नी
  • डुंडन मुंडा की पत्नी

इन नामों से जुड़ी गाथाएं आनेवाली पीढ़ियों को बलिदान, संघर्ष और आदिवासी स्वाभिमान की प्रेरणा देती हैं।

बिरसाइत आंदोलन और आदिवासी चेतना

बिरसा मुंडा न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि एक धार्मिक और सामाजिक सुधारक भी थे। उन्होंने बिरसाइत आंदोलन की शुरुआत की, जिसने आदिवासी समाज में नई चेतना जगाई। डोंबारी बुरू उसी आंदोलन की कर्मभूमि रही है।

डोंबारी बुरू महज एक पहाड़ी नहीं, बल्कि झारखंड के गौरव, बलिदान और आत्मसम्मान की जीती-जागती पहचान है। 9 जून को बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि पर यह स्थान श्रद्धा का केंद्र बन जाता है, जहां लोग उनके सपनों के “अबुआ दिशुम” को साकार करने की प्रेरणा पाते हैं।

Share this article

Facebook
Twitter X
WhatsApp
Telegram
 
December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031