“सेना तो तुम ले सकते हो, लेकिन कृष्ण को नहीं”: तेज प्रताप का इमोशनल कार्ड, तेजस्वी को दिया आशीर्वाद

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बिहार की राजनीति इन दिनों किसी धारावाहिक से कम नहीं लग रही — और तेज प्रताप यादव ने तो इसे महाभारत 2.0 बना दिया है। उनके बयानों में भावनाएं, नाराज़गी, इमोशन और पॉलिटिक्स सब कुछ एक साथ देखने को मिल रहा है

क्या चल रहा है?

  • लालू यादव का फरमान: तेज प्रताप को पार्टी और परिवार दोनों से निकाल दिया गया — यह एक बड़ा और साफ संदेश था कि अब उनके बागी तेवर बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
  • तेज प्रताप का जवाब: उन्होंने न सिर्फ भावनात्मक कार्ड खेला, बल्कि खुद को अर्जुन और तेजस्वी को कृष्ण बताते हुए पूरे घटनाक्रम को एक पौराणिक रंग दे दिया।
  • जयचंद वाला कटाक्ष: ये लाइन सीधे तौर पर उन लोगों पर थी जो परिवार और पार्टी के भीतर तेजस्वी के करीब हैं और शायद तेज प्रताप की जगह कमज़ोर करने में लगे हुए हैं।

ये ड्रामा क्यों दिलचस्प है?

  1. पारिवारिक राजनीति का खुला मंचन: आम तौर पर ऐसे झगड़े पर्दे के पीछे रहते हैं, लेकिन यहाँ तो सोशल मीडिया पर ही पूरा ‘महाभारत’ खेला जा रहा है।
  2. जनता का मनोरंजन: बिहार की जनता और सोशल मीडिया यूज़र्स इस सस्पेंस और तंज से भरपूर कहानी को असली रियलिटी शो की तरह देख रहे हैं।
  3. राजनीतिक संकेत: तेज प्रताप का ऐसा व्यवहार यह भी दिखाता है कि वे खुद को दरकिनार किए जाने से बेहद नाराज़ हैं, और वे शायद किसी नए राजनीतिक मंच या रास्ते की ओर बढ़ सकते हैं।

क्या तेजस्वी ‘कृष्ण’ की भूमिका निभाएंगे?

तेजस्वी यादव की अब तक की राजनीति अपेक्षाकृत शांत और रणनीतिक रही है। वे शायद ही तेज प्रताप के इस इमोशनल कार्ड में पड़ना चाहें — खासकर जब उनका खुद का करियर अब एक स्थिर राह पकड़ रहा है।

तेज प्रताप का ‘धृतराष्ट्र स्टाइल’ गुस्सा और अर्जुन बनने की कोशिश एक तरफ भाईचारे की पुकार है, तो दूसरी तरफ यह उनकी हताशा और सत्ता से बाहर किए जाने की पीड़ा भी दिखाता है। लालू यादव की राजनीति में ऐसा पब्लिक पारिवारिक झगड़ा नया नहीं, लेकिन इस बार सोशल मीडिया ने इसे एक हाई-वोल्टेज ड्रामा में बदल दिया है।

तेज प्रताप का बयान

“कृष्ण की सेना तो तुम ले सकते हो, लेकिन खुद कृष्ण को नहीं। मेरे अर्जुन से मुझे अलग करने का सपना देखने वालों, तुम अपनी साजिशों में कभी सफल नहीं हो सकोगे।”

तेज प्रताप ने अपने पोस्ट में तेजस्वी के लिए भावुक शब्दों में आशीर्वाद भी दिया और लिखा:

“भाई, भरोसा रखना, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ। मम्मी-पापा का ख्याल रखना, जयचंद हर जगह हैं – अंदर भी और बाहर भी।”

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