बिहार की राजनीति में हलचल: विधायक खरीद-फरोख्त मामले में ईओयू की कार्रवाई तेज, बीमा भारती समेत कई बड़े चेहरे रडार पर

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पटना: बिहार में विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त को लेकर चल रही जांच ने एक बार फिर सियासी पारा चढ़ा दिया है। नीतीश कुमार के पिछले साल महागठबंधन से नाता तोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद विधानसभा में हुए शक्ति परीक्षण के दौरान कथित रूप से पैसों और पदों का खेल होने की बात सामने आई थी। अब इस मामले में बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने जांच को तेजी से आगे बढ़ाया है।

बीमा भारती समेत चार को नोटिस

EOU ने इस सिलसिले में पूर्व विधायक और आरजेडी नेता बीमा भारती, संजय पटेल, प्रमोद कुमार, और सनी कुमार को पूछताछ के लिए 21 जुलाई को कार्यालय में उपस्थित होने का नोटिस भेजा है। बीमा भारती पर आरोप है कि उन्होंने विधायकों की खरीद-फरोख्त में बड़ी रकम ली थी।

एफआईआर की पृष्ठभूमि

यह मामला तब उठा जब जेडीयू विधायक सुधांशु कुमार ने 11 फरवरी 2024 को पटना के कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें और अन्य एनडीए विधायकों को महागठबंधन के पक्ष में वोट डालने के लिए 10 करोड़ रुपये और मंत्री पद का ऑफर दिया गया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे EOU को ट्रांसफर कर दिया गया।

अब सुदर्शन कुमार भी रडार पर

शेखपुरा से जेडीयू विधायक सुदर्शन कुमार पर भी शिकंजा कसता दिख रहा है। उनके खिलाफ भी नोटिस की तैयारी की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, इंजीनियर सुनील कुमार नामक व्यक्ति, जिन्हें आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का करीबी माना जाता है, ने विधायक सुदर्शन को “मैनेज” करने की कोशिश की थी।

  • इस प्रयास में बालू माफिया आलोक यादव का नाम भी सामने आया है।
  • आलोक यादव द्वारा सुदर्शन कुमार के पेट्रोल पंप खाते में एक बड़ी राशि ट्रांसफर की गई थी।
  • ईओयू ने कॉल डिटेल, लोकेशन डेटा और WhatsApp कॉल्स की डिकोडिंग के जरिए सबूत जुटाए हैं।

EOU की अगली रणनीति

  • इंजीनियर सुनील कुमार से दोबारा पूछताछ होगी।
  • जेडीयू के दो और विधायकों के नाम जांच में सामने आए हैं।
  • इन सभी को भी जल्द पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है।

राजनीतिक मायने और संभावित असर

इस पूरे घटनाक्रम ने बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। महागठबंधन और एनडीए के बीच सत्ता को लेकर हुई इस कथित खरीद-फरोख्त की जांच अगर गंभीर दिशा में आगे बढ़ती है तो आने वाले समय में कई राजनीतिक चेहरों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह की कार्रवाई बिहार की राजनीतिक फिजा को काफी हद तक प्रभावित कर सकती है।

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