बदलाव की बुनियाद: नीतीश की सोच, बेटियों की उड़ान सिर्फ योजनाएं नहीं, बिहार की बेटियों के सपनों की सीढ़ी

Share

पटना: बिहार में शिक्षा और महिला सशक्तिकरण को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरदृष्टि ने वो कर दिखाया जो कभी सिर्फ नारे तक सीमित था। पोशाक योजना और मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना जैसी पहलों ने बेटियों के जीवन में असल बदलाव लाकर दिखाया है। ये सिर्फ सरकारी योजनाएं नहीं, बल्कि सामाजिक क्रांति की आधारशिला साबित हुईं।

एक साइकिल, हजारों उम्मीदें
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूसरी दूरगामी सोच थी मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना। शिक्षा की ओर बढ़ते कदमों को रफ्तार देने के लिए शुरू की गई यह योजना आज कई राज्यों के लिए मॉडल बन चुकी है।
अब तक 8.71 लाख छात्राओं को ₹3000 की डीबीटी सहायता दी जा चुकी है, जिस पर ₹174.36 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। यह सिर्फ एक साइकिल नहीं, आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास और स्वतंत्रता की सवारी बन चुकी है।

आंकड़ों से परे बदलाव की तस्वीर
स्कूल छोड़ने वाली लड़कियों की संख्या में भारी गिरावट आई है।
दसवीं-बारहवीं की परीक्षा में बालिकाओं की भागीदारी व सफलता दर बढ़ी है।
ग्रामीण साक्षरता दर, विशेषकर बालिकाओं में, उत्साहजनक ढंग से बढ़ी है।
माता-पिता की सोच बदली है, अब बेटियों को पढ़ाना गर्व की बात बन चुका है।

मुख्यमंत्री की सोच, भविष्य की नींव
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साबित कर दिया कि यदि इरादे नेक हों और योजनाएं ज़मीन से जुड़ी हों, तो संसाधनों की कमी भी सामाजिक बदलाव की राह नहीं रोक सकती। इन योजनाओं ने एक पूरी पीढ़ी को सशक्त, शिक्षित और सपनों से भरा बनाया है।

मुख्य उद्देश्य :
स्कूल ड्रॉपआउट रोकना : स्कूल की दूरी के कारण लड़कियों के ड्रॉपआउट (स्कूल छोड़ने) की समस्या को दूर करना, ताकि बच्चियां 9वीं कक्षा से आगे पढ़ा पढ़ाई जारी रख सकें।
शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना: लड़कियों और उनके परिवारों में शिक्षा के प्रति जागरूकता और रुचि पैदा करना है। जिससे वे पढ़ाई को प्राथमिकता दें।
सामाजिक सशक्तिकरण: लड़कियों में आत्मविश्वास और स्वतंत्रता की भावना विकसित करना। जिससे वे समाज में खुलकर आगे बढ़ सकें ताकि सामाजिक क्रांति का मार्ग प्रशस्त हो सके।
परिवहन सुविधा देना: ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल जाने के लिए परिवहन की समस्या को हल करना, ताकि छात्राएं कम समय में और सुरक्षित तरीके से स्कूल पहुंच सकें।
लिंगानुपात सुधारना: स्कूलों में लड़कियों की भागीदारी बढ़ाकर शिक्षा में लैंगिक असमानता को कम करना। इस योजना के कारण बिहार के सरकारी स्कूलों में छात्राओं की उपस्थिति और नामांकन में भारी वृद्धि हुई, स्कूल छोड़ने की दर घटी, और लड़कियों की शिक्षा को लेकर समाज में सकारात्मक बदलाव आया।

बिहार बना प्रेरणा, देश ने माना मॉडल
पोशाक और साइकिल योजना को लेकर बिहार देशभर एक नजीर पेश की है। इस योजना से न केवल महिला सशक्तिकरण को बल मिला है। बल्कि महिलाओं को आगे बढ़ाने के मामले में मामले में अव्‍वल हो चुका है। ये योजनाएं बिहार के लिए मील का पत्‍थर साबित हुईं हैं।
डाटा ::
पोशाक योजना लाभार्थी: 1.95 करोड़ छात्राएं
कुल खर्च: ₹2412.47 करोड़
साइकिल योजना लाभार्थी: 8.71 लाख छात्राएं
कुल खर्च: ₹174.36 करोड़
हर दिन बढ़ रही है बालिकाओं की स्कूल भागीदारी

Share this article

Facebook
Twitter X
WhatsApp
Telegram
 
August 2025
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
25262728293031