नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने राजधानी के निजी स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से फीस वसूलने पर रोक लगाने के लिए “दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस बिल 2025” को अध्यादेश के माध्यम से लागू करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। अब इसे राष्ट्रपति की अनुमति के लिए उपराज्यपाल के पास भेजा जाएगा।
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने प्रेसवार्ता में बताया कि यह अध्यादेश 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी माना जाएगा और यह निर्णय दिल्ली के लगभग 1677 निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों और उनके अभिभावकों के हित में लिया गया है। उन्होंने कहा कि इससे शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ेगी और आर्थिक शोषण पर लगाम लगेगी।
प्रमुख प्रविधान:
- स्कूल स्तरीय फीस विनियमन समिति का गठन अनिवार्य होगा। इसमें स्कूल प्रबंधन के अध्यक्ष, प्रधानाचार्य (सचिव), तीन शिक्षक, पांच अभिभावक — जिनमें अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय के सदस्य और कम से कम दो महिलाएं शामिल होंगी।
- समिति की मंजूरी के बाद ही तीन वर्षों के लिए फीस वृद्धि की जा सकेगी।
- फीस वृद्धि के लिए 18 मानक निर्धारित किए गए हैं, जैसे स्कूल की भौतिक स्थिति, वित्तीय हालत, प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय और खेल सुविधाएं।
- सभी स्कूलों को 31 जुलाई 2025 तक समिति गठन करना होगा और 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट देनी होगी।
- यदि 15% से अधिक अभिभावक समिति के निर्णय से असहमत होंगे, तो वे जिला स्तरीय समिति में अपील कर सकेंगे।
- समय पर रिपोर्ट न देने या विवाद की स्थिति में राज्य स्तरीय समिति को अंतिम निर्णय का अधिकार होगा।
उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई:
नियमों का पालन न करने पर संबंधित स्कूल पर 10 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है और स्कूल की मान्यता रद्द भी की जा सकती है।
सरकार की मंशा:
शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ और शासन में पारदर्शिता लाने की भावना से प्रेरित है। दिल्ली सरकार का यह कदम शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी, उत्तरदायी और छात्र-अभिभावक हितैषी बनाने की दिशा में ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है।