पश्चिमी सिंहभूम। पूर्व सांसद गीता कोड़ा ने पश्चिमी सिंहभूम जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर जमकर निशाना साधा है।
उन्हाेंने कहा है कि सदर अस्पताल चाईबासा में जो हुआ, वह किसी एक परिवार की नहीं बल्कि पूरे सिस्टम की विफलता है। उन्होंने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है कि एक आदिवासी पिता को अपने बच्चे का शव थैले में रखकर जंगल-पहाड़ी रास्तों से गांव ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह घटना सरकार और स्वास्थ्य विभाग के बड़े-बड़े दावों की पोल खोलती है।
गीता कोड़ा ने शनिवार काे कहा कि आदिवासी और सुदूर ग्रामीण इलाकों में आज भी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। खनिज संपदा से समृद्ध इस जिले से सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व मिलता है, लेकिन यहां के लोगों को न समय पर इलाज मिल पा रहा है और न ही आपात स्थिति में एम्बुलेंस जैसी मूलभूत सुविधा। उन्होंने कहा कि एक लाख से अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार हैं और ऐसे हालात में सरकार के विकास और संवेदनशील प्रशासन के दावे खोखले साबित होते हैं।
पूर्व सांसद ने कहा कि इससे पहले भी जिले में स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाहियां सामने आ चुकी हैं, लेकिन न तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई हुई और न ही व्यवस्था में सुधार किया गया। उन्होंने मांग की कि पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए तथा सुदूर गांवों में एम्बुलेंस सेवा, डॉक्टरों की तैनाती और आवश्यक स्वास्थ्य संसाधनों की तत्काल व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि भविष्य में किसी भी परिवार को इस तरह की अमानवीय पीड़ा न सहनी पड़े।
घटना नोवामुंडी प्रखंड के सुदूर जंगल क्षेत्र स्थित बालजोड़ी गांव से जुड़ी है, जहां निवासी डिंबा चंतोबा अपनी चार माह की नवजात बच्ची को इलाज के लिए सदर अस्पताल चाईबासा लेकर आए थे। इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई, लेकिन अस्पताल से एम्बुलेंस नहीं मिलने के कारण पिता को शव थैले में रखकर बस और पैदल रास्तों से गांव लौटना पड़ा। घटना की जानकारी मिलने पर शनिवार को गीता कोड़ा बालजोड़ी गांव पहुंचीं और शोकाकुल परिवार से मिलकर उन्हें ढाढ़स बंधाया।





